कर्फ्यू का ये विचार कई मायनों में अलग था क्योंकि, तब तक हम लोगों के लिए कर्फ्यू का मतलब था- किसी शहर या जिले में प्रशासन द्वारा लगाई गई सख्ती, जिसमें Indian Penal Code यानी IPC की धारा 144 का इस्तेमाल किया जाता है और क्षेत्र के डीएम या पुलिस कमिश्नर को सभी फैसले लेने के अधिकार मिल जाते हैं, लेकिन इस कर्फ्यू में ऐसा नहीं था. ये कर्फ्यू जनता ने अपनी इच्छा से अपने लिए खुद पर लगाया था और इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी भी लोगों पर ही थी और बाहर निकलने के अधिकार भी लोगों के पास ही थे.
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